इशारे की भाषा।
आदि मानव ने सबसे पहले इशारे की भाषा बनाईं थी।
वह जब कुछ समझाता था तब वह अपने हाथों की मुद्राओं बनाता
था। लेकिन जान वर इस भाषा को पहले से जानता था।
आज भी आप अपने पालतू जानवर को गुस्से से आंख दिखाते हो
तो वह उस स्वभाव को जान जाता है। और अपने व्यवहार में परिवर्तन कर देता है।अगर आप उसे जैसा सिखाना चाहतें हैं।
वैसा ही सीख जाता है। क्योंकि वह आपके इशारों को समझता है।आज भी जब गूंगा व्यक्ति जब कुछ कहना चाहता है।
तब वह अपने इशारों के माध्यम से बताता है।कि मुझे क्या चाहिए। इशारों की भाषा मूक ज़रुर होती है पर बहुत कुछ व्यक्त
करती है।आज हमने अपनी भाषा में बहुत कुछ चिन्ह बनाये है।जो हमने मूक भाषा से लिये गये है। जैसे प्रशन वाचक चिन्ह ?
आज भी आदिवसी अपने घरों पर इस भाषा का प्रयोग करते हैं।