#इशारा_काफ़ी-
#इशारा_काफ़ी-
“धारणा गढ़ने और किसी एक के हित में दुनिया के मत्थे मढ़ने में कौन सा खर्चा होता है? जिसे, जो मन चाहे, वो बना दो। मनगढ़ंत जुमलों के बूते।।”
[प्रणय प्रभात]
#इशारा_काफ़ी-
“धारणा गढ़ने और किसी एक के हित में दुनिया के मत्थे मढ़ने में कौन सा खर्चा होता है? जिसे, जो मन चाहे, वो बना दो। मनगढ़ंत जुमलों के बूते।।”
[प्रणय प्रभात]