इशारा है आशिकी का..!
इशारा है आशिकी का..!
आँखों में मुहब्बत की कहानी ,
दिल में लहरें उम्मीद की
धड़कनो में चाहत की रवानी;
याद तो हर साँस में आनी
शुरुआत और अन्त प्रेम का-
विरह और मिलन सन्देश का
छंद रचे सुंदर अति भाबुक सा……
जो दिल के अन्दर कस्तुरी-मृग सा,
बेगानापन है खोज का,
जैसे भटके मन पागल सा !
मरूभूमी में जल मरिचीका सा,
रगों में बहता सिहरन सा,
तड़पन जगाये मिलन का;
जागे रातों में नींद कहां आनी
छबि घुमे नयनों में प्रियतम की,
दिन सुना-सुना, रात भी बेगानी;
खुले नयनों में स्वप्नों सा,
भ्रमित मन चाँद चकौर सा,
खोजे चांदनी, आंगन तारों का,
यह ही तो इशारा है आशिकी का…!!
सजन