इल्म
जो बात अनसुनी की थी,
तुमने सोचा सुनी ही नही
शब्दों को तकते तुम
खामोशी कहाँ पढ़ पाते?
जवाब दिया तो था “चुप रहकर”
तुम्हे ये इल्म भी नही
कि अज़ीज़ हो तुम!!!
जो बात अनसुनी की थी,
तुमने सोचा सुनी ही नही
शब्दों को तकते तुम
खामोशी कहाँ पढ़ पाते?
जवाब दिया तो था “चुप रहकर”
तुम्हे ये इल्म भी नही
कि अज़ीज़ हो तुम!!!