इल्तजा
ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है
रंज करना बुज़दिलों का काम है
चल पड़ो मत बीतने दो ये सहर
ढ़ल गई तो शाम ही फिर शाम है
ढ़ो रहे हैं ज़िंदगी को बोझ सा
हाय पी कर देखिए क्या जाम है
बिक रहा है आदमी चारों तरफ
आप कहिए आप का क्या दाम है
मन लखनवी
ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है
रंज करना बुज़दिलों का काम है
चल पड़ो मत बीतने दो ये सहर
ढ़ल गई तो शाम ही फिर शाम है
ढ़ो रहे हैं ज़िंदगी को बोझ सा
हाय पी कर देखिए क्या जाम है
बिक रहा है आदमी चारों तरफ
आप कहिए आप का क्या दाम है
मन लखनवी