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3 Jun 2023 · 1 min read

इल्ज़ाम ना दे रहे हैं।

इल्जाम ना दे रहे है हम तुमको अपनी बर्बादी का।
हमें कोई शिकवा नहीं है तुमसे तुम्हारी बेवफाई का।।1।।

तुमको दिल से चाहने की हम सजा पा रहे है।
इक खिलौना बनकर रह गए है हम जग हंसाई का।।2।।

है दावत ए वलीमा क्या लेकर जाए हम तोहफा।
जश्न चल रहा है आई नई दुल्हन की मुंह दिखाई का।।3।।

है दिल में कितनी चाहत खुद इश्क करके देखो।
बिना उतरे ना पता लगे यूं समन्दर की गहराई का।।4।।

दर ब दर भटक रहा हूं सुकून ए दिल के लिए।
क्या बताए हम तुमको दर्द ए दिल की तन्हाई का।।5।।

मैं इतना काबिल नही हूं कि बयां करूं उसकी खूबियां।
खुदा की सिवा कोई ना जानें उसकी खुदाई का।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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