इम्तिहान की घड़ी
इम्तिहान की घड़ी
ये जिंदगी का खेल है,
बस कुछ मुश्किलों का मेल है,
मुश्किलों की इस गठबंधन से,
तुम कब तक घबराओगे,
रणभूमि में कायर बन,
यूँ कब तक पीठ दिखाओगे,
इम्तिहान से घबराओगे तो
जीवन क्या जी पाओगे।
मेरे यारों, तू अपने अब पंख खोल दे,
आलस का बंधन तोड़ दे,
आलस की इस महाजाल में,
यूँ ही फँस के रह जाओगे,
बुजदिल झाँकना खुद को,
मरा हुआ ही पाओगे,
वीरगति पाना कभी तुम,
मर के भी अमर हो जाओगे,
अरे, इम्तिहान से घबराओगे तो
जीवन क्या जी पाओगे।
भाग्य तेरे कदमों में होगा,
बस तू खुद को जान ले,
अपना आत्मविश्वास खोने न दे,
खुद पर डर का हावी होने न दे,
डर के इस काली गुफा में,
तू कहीं भटक तो न जाओगे,
इम्तिहान से घबराओगे तो
जीवन क्या जी पाओगे।
याचना करना बंद करो अब,
मेहनत करके छीन ले,
मेहनत की इस कुंजी से,
तुम वो हर चीज़ पाओगे,
थक हारकर यूँ चिंतित होकर,
क्या तुम चैन से रह पाओगे,
इम्तिहान से घबराओगे तो
जीवन क्या जी पाओगे।
जिस मोड़ पे तू खरा है,
वह वक़्त बड़ा सुनहरा है,
सुनहरे इस वक़्त को,
अगर यूँ ही गबाओगे,
तो गाँठ बाँध लो देशवासियों,
जीवन भर ठोकर खाओगे,
छोटी सी बातें लेकर अगर,
इतनी अधीर हो जाओगे,
सोचो जरा मेरे प्यारे,
जीवन में क्या कर पाओगे,
इम्तिहान से घबराओगे तो
जीवन क्या जी पाओगे।
-आदित्य राज
(जवाहर नवोदय विद्यालय)
खगड़िया (बिहार)