इबादत
मिल जाय ग़र तुझको ख़ुदा कहीं,
मेरी भी सिफ़ारिश कर देना
क्योंकि मैं कभी इबादतगाह जाता नही।
करता हूँ खिदमत यतीम लाचारों की,
काफ़िर हूँ यारों सजदा करना मुझको आता नही।
दिखती है सूरत ख़ुदा की मुझको,
मासूमों के दर्द और मुस्कुराहटों में
इसलिए ऐ दोस्त,
इबादत में कभी वक्त ज़ाया करता नही।
#सरितासृजना