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22 Aug 2024 · 1 min read

इबादत की सच्चाई

इबादत की सच्चाई
अब इबादत में सिर्फ जरूरतों का ज़िक्र है,हर दुआ में एक ही सवाल की चिरपुनाई है।
लेकिन कभी उसके दर पर जाओ,जहाँ सिर्फ सुकून की लहर समाई है।।
भिखारी बनकर हर बार मत जाओ,भक्त की आड़ में हमेशा मत छुपाओ।
कभी सिर्फ भक्त बनकर उसके सामने आओ,अपनी आत्मा को शुद्ध करने का इरादा लाओ।।
मंदिर माल नहीं, ये भगवान का घर है,यहाँ तो हर भावना, हर ख्वाब सच्चा भर है।
दुकान नहीं ये, धंधे का कोई ठिकाना,यहाँ इबादत हो, न कि केवल कोई तलब लगाना।।
उसकी ऊर्जा को अपने भीतर सहेजकर लाओ,मन और शरीर में शांति की रौशनी फैलाओ।
जब आत्मा को शुद्ध करने का संकल्प हो,तब इबादत भी सच में समर्पण का रंग ले।।

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