इन जुल्फों के साये में रहने दो
हम और कहीं अब क्यों जाएँ
इन जुल्फों के साये में रहने दो
हम और किसी को ना बतलाएँ
हमें बातें इस दिल की कहने दो
हम और किसी को…………..
तुमसे हूँ मैं और मेरा जहाँ
तुमसे ही तो है मेरी दास्ताँ
है तुम्ही से सुनो ये मेरी जिंदगी
इन जुल्फों के साये में रहने दो
हम और किसी को…………..
हमने है तुमसे प्यार किया
हमने तुमपे एतबार किया
है तुम्ही से मेरी ये दूनियाँ हँसी
इन जुल्फों के साये में रहने दो
हम और किसी को……………
है तुझपे सब अरमान फिदा
ये दिल फिदा ये जान फिदा
है तुम्ही से ‘विनोद’ सारी खुशी
इन जुल्फों के साये में रहने दो
हम और किसी को……………
स्वरचित
( विनोद चौहान )