इन्साफ की पुकार
महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, दुष्कर्म और हत्या जैसी घटनाएं हमारे समाज पर एक गहरा धब्बा हैं। हर बेटी, हर बहन और हर माँ को सुरक्षित और सम्मानित महसूस कराने के लिए हमें एकजुट होकर आवाज़ उठानी होगी। ये ग़ज़ल उन सभी निर्दोष पीड़ितों के लिए है, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी को खो दिया। दोषियों को कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए और न्याय का पल जल्द आना चाहिए।
इन्ही घटनाओ से व्यथित मन से कुछ पंक्तिया लिखी है की दोषियों को सज़ा मिले…..इन्साफ की पुकार
“वो चीखें जो फिज़ाओं में दबाई जाती हैं,
हर जुर्म के पीछे हँसी उड़ाई जाती हैं।
जो हैवान हैं, वो इंसान कहलाते क्यों हैं?
सड़कों पे औरतों की इज़्ज़त लुटाई जाती है।
अब कानून से फरियाद ये लगाते हैं सब,
हर दरिंदे को कड़ी सज़ा क्यूँ ना दिलाई जाती है?
कब तक यूँ घुटेगी सिसकियों में हर बेटी,
क्यूँ हर बार उसके ख़्वाब को आग लगाईं जाती है
जल्द हो ऐसा कि हर पापी को मिले फांसी,
वरना सिस्टम और कानून तक सिर्फ दुहाई जाती है
©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी ”
सनावद (मध्यप्रदेश )