इन्सानों का ये लालच तो देखिए।
इन्सानों का ये लालच तो देखिए।
जमीं तो जमीं है आसमां बांट लिया है।।1।।
पक्षी,नदियां और हवा के झोंके।
इन सबको ही सरहदो में बांट दिया है।।2।।
बनता है यतीमों का हिमायती।
इनके हिस्से का सब कुछ खा गया है।।3।।
इश्क के नाम पर यह लूटता है।
मोहब्बत वाला ऐसे सितम ढा गया है।।4।।
हम अकीदे पर मारे गए उसके।
जो बेवफ़ा हमको दफना कर गया है।।5।।
जिनके लिए गमों को सह गए।
वही मेरी बरबादी पर मुस्कुरा रहा है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ