इन्दजार.
इन्दजार
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ओ पिया….
मेरे होठोम पर
तुम से दी हुई
प्यार का चुम्बन
बन चुकी है
दर्द आज.
कैसे भुला दे
सकती हूँ मैं
वो प्यार भरी
दिन रात.
तुम छिप
रहे हो कहाँ
तुम्हारे इन्दजार
कर रही हूँ मैं
यहाँ अकेले.
आवोगे कब तुम…
नहीं सह पाती ये अकेलापन मुछ से.
सताती है मुछे ये ख़ामोशी.
घुट रही है दम
अपनी
इस घर की चार
दीवारों के बीच.
बचा सकते हो
मुछे यहाँ से
नहीं तो
करना पड़ेगा
खुदखुशी
मुछे खुदा
की कसम.