इन्तजार
इन्तजार
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तुम आए तो खुशी आ गई ,
प्यार की खुशबू महका गई।
जिस पल का इंतजार हुआ,
ओ बेहद करीब आ गई ।
नज़र में फसी तू दीदार हो गई,
दिल देकर मुझसे प्यार हो गई।
मोहब्बत में डूबकर जानु,
इंतजार में रात हो गई।
इंतजार की आरजू खो गई,
खामोशियों की आदत हो गई।
न गिला रहा, न सिकवा रहा,
मिलन की चाह और बढ़ गई।
छन छन कर छनका गई,
पायल की धुन बजा गई।
प्रेम की इस मिलन को,
लैला भी शरमा गई।
प्यार की खुशबू महका गई,
बाहों में मेरे ओ सिमटा गई।
बिना कुछ कहे लबो से,
इंतजार की परिभाषा बता गई।
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रचनाकार – डीजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
पिपरभवना, बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822