इन्तजार करता हुआ
तुम्हारे साथ नही हूँ फ़िर भी एक अहसास है कि जैसे मैं तुम्हारे साथ हूँ वही।।।
घर पर अकेला।।।इन्तजार करता हुआ।।।
घर पर अकेला।।।
इन्तजार करता हुआ।।।
ताकता हुआ राह
कि तुम अब आओगी
तुम अब आओगी।।।
इसलिये कह देता हूँ
तुम जल्दी लौट आना।
लगता है जैसे तुम्हारे
कमरे की दरवाजे पर
छप गयी है मेरी आंखे
जो तुम्हारे आने का इन्तजार करती है
ऐसा लगता है जैसे तुम्हारे कमरे की कुंडी मेरी उंगलियां बन गयी हों
जैसे ही तुम उन्हे छूवोगी आकर
तुम्हारे स्पर्श को महसूस करूंगा मैं भी।।।
तुम्हारे साथ नही हूँ फ़िर भी एक अहसास है कि जैसे मैं तुम्हारे साथ हूँ वही।।।
घर पर अकेला।।।इन्तजार करता हुआ।।।
स्वतंत्र ललिता मन्नू