इधर जाऊँ या उधर जाऊँ….
मैं आख़िर अब किस तरफ़ जाऊँ,
इधर जाऊँ या उधर जाऊँ ।
मिल रहा है तिरस्कार के साथ दर्द हर तरफ़,
अच्छा होगा कि मैं मौत से मिल आऊँ ।।
दर्द मेरे बदन का , तड़प मेरी भूख की,
हुक्मरान समझ नहीं पाया है ।
सह लूँ दर्द को या समझौता करूँ भूख से,
जैसे भी माकूल हो मैं अपने घर पहुँच जाऊँ ।।