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16 Jan 2020 · 1 min read

इत्र और तू

तेरे मिलने की खुशी भी इत्र सी है।
तू रुबरु होने वाला होता है,
और मैं महकने लगती हूँ।

अजीब सिलसिला है,
तेरे जज्बातों के सैलाब में,
अनजाने में ही सही, बहकने लगती हूँ।

कशिश कहुँ या आदत,
नशा हो या चाहत,
आखें मूंदे तेरी ओर बढ़ने लगती हूँ।

बस एक कदम और,
फिर मेहनत कामयाबी होगी,
इसी अहसास में सिमटने लगती हूँ।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 728 Views
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