इतिहास का झरोखा
इतिहास का झरोखा
इतिहास नहीं है मुश्किल देखो, इसको आसान बनाया
हर एक युग को कलम से अपनी, लिखकर आज दिखाया।
बच्चों की उलझन को उसने, इतना आसान बनाया
आदिकाल से वर्तमान तक, इतिहास का ज्ञान सिखाया।।
मानव के उद्भव काल से, पाषाण युग है आया
पुरा-मध्य और नवपाषाण, दौर यह कहलायाI
गुफा में रहकर किया गुजारा, कच्चा माँस था खाया
पहिए की खोज ने मानव की, बदल दी सारी काया।।
हड़प्पा में जब हुई खुदाई, नगर बसा एक पाया
कहकर श्रेष्ठ आर्यों ने उन पर, कब्जा अपना जमाया।
ऋग्वैदिक युग की हुई शुरुआत, वेदों का ज्ञान था आया
उत्तर वैदिक काल में ऋषियों नें, महाकाव्य हमें सुनाया।।
आपस में मिलकर लोगों ने, जनपद को खूब फैलाया
राज्यों का विस्तार हुआ, और महाजनपद कहलाया।
गौतम बुद्ध और महावीर ने, अहिंसा का पाठ पढ़ाया
प्यार-प्रेम और भाईचारा, जग में था फैलाया।।
आई सिकंदर की सेना, पोरस उससे टकराया
दबे पाँव ही लौटा वापिस, उसको पसीना आया।
चाणक्य नीति अपनाकर, फिर चंद्रगुप्त था छाया
कलिंग युद्ध ने अशोक को, अहिंसा का पाठ पढ़ाया।।
ईसा पूर्व से आगे निकलकर, कनिष्क का प्रचंड छाया
महान कार्य करके वह भी, दूसरा अशोक कहलाया।
गुप्त काल का हुआ प्रारंभ, स्वर्णकाल फिर आया
आर्यभट्ट की शून्य खोज ने, गणितज्ञों की बदली काया।।
भारत वर्ष को दूर-दूर तक, हर्षवर्धन ने फैलाया
प्राचीन भारत का अंत हुआ, और मध्यकाल फिर आया।
चोल,चेर,पांडेय संग में, गुर्जर प्रतिहार भी छाया
महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर, अपना कहर बरसाया।।
सेना लेकर अफगानों की, मुहम्मद गौरी भारत आया
फौलादी चौहान से गौरी, तराइन में जा टकराया
कुतुबुद्दीन को छोड़ा भारत, दास वंश था जिसने बसाया
तुगलक,खिलजी,सैयद,लौधी, संग, सल्तनत कहलाया।।
इब्राहिम लौधी को हराकर, बाबर भारत में आया
चंगेज और तैमूर के वंशज ने, मुगल काल था चलाया।
औरंगजेब के अंत के बाद ही, आधुनिक युग फिर आया
गौरो ने फिर भारत आकर, उनका किला ढ़हाया।।
देकर बलिदानी अपने तन की, भगत सिंह फिर आया
इंकलाब का नारा देकर, शीश है अपना कटाया।
सत्य अहिंसा प्यार-प्रेम, फिर बापू ने समझाया
भारत की ताकत का ड़ंका, विश्व में फिर से लहराया।।
आजाद परिंदा बन गया भारत, सन् संतालीस जब आया
खंड-खंड भारत को लौह पुरुष ने, अखंड भारत बनाया।
मंगल मिशन तक जा पहुँचा, तिरंगा अपना लहराया
अरविन्द कवि ने रचना से, भारत का इतिहास सुनाया।।