इतने मधुर बनो जीवन में।
इतने मधुर बनो जीवन में।
शहनाई बजती आँगन में।।
जैसी सोच रखोगे मन में।
वैसा पाओगे जन-जन में।।
सुख सौरभ सुरभित कानन में।
जल थल अंबर जड़ चेतन में।।
सुधा छलकता है कण कण में।
जीना सीखो हर इक क्षण में।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली