इतनी बिखर जाती है,
इतनी बिखर जाती है,
तुम्हारे नाम की खुशबु मेरे लफ़्जों मे
कि लोग पुछने लगते है
इतनी महकती क्युँ है शायरी तुम्हारी,
इतनी बिखर जाती है,
तुम्हारे नाम की खुशबु मेरे लफ़्जों मे
कि लोग पुछने लगते है
इतनी महकती क्युँ है शायरी तुम्हारी,