इतना वो भला है कि बुराई नहीं देता
इतना वो भला है कि बुराई नहीं देता
ये बात भी सच्ची है भलाई नहीं देता
ठोकर जो लगी ज़ख़्म हुआ ख़ून बहा भी
इतना था अंधेरा कि दिखाई नहीं देता
अन्दाज़ अलग उसका सितमबाज़ बड़ा है
देता वो मरज़ दिल का दवाई नहीं देता
साया भी मिरा आज हुआ यार के माफ़िक
रहता है मिरे साथ गवाही नहीं देता
फ़ितरत है यही उसकी छिपाता वो ग़मों को
यूँ सामने वो सबके दुहाई नहीं देता
ये बात परिन्दे को बताए भी भला कौन
सैय्याद बिना दाम रिहाई नहीं देता
प्यारा है वही जिसने सबक़ याद किया है
प्यारा जो उसे उसको ढिलाई नहीं देता
‘आनन्द’ ज़माने में मिले जितने भी इन्साँ
अहबाब कोई इनमें दिखाई नहीं देता
– डॉ आनन्द किशोर