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15 Nov 2024 · 1 min read

इतना रोए कि याद में तेरी

इतना रोए कि याद में तेरी
अपनी आंखें भी हम गवां बैठे

तेरा दीदार जब नहीं होता
मेरी आंखें उदास रहती हैं

हर किसी निकाल दें ख़ामी
इल्म इतना तो हम नहीं रखते

ज़िन्दगी से नहीं कोई शिकवा
बे-वजह नम ये हो गईं आंखें

याद हम बनके तेरे दिल में
महक जाएंगे
बनके आसूं तेरी आंखों से
झलक जाएंगे

आज भी पास हो मेरे दिल के
आज भी भीगी भीगी हैं आंखें

हादसा तो गुज़र गया लेकिन
फिर ये आंखों में है नमी कैसी
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

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