इतना भी न विश्राम कीजिए — गजल/ गीतिका
इतना भी न विश्राम कीजिए,
जो मिला है काम उसे तो कीजिए।
देते रहते हो उपदेश,
दिन रात तुम यहां वहां जाकर।
अपने अंतःकरण में झांक कर ,
अपने बारे में तो विचार कीजिए।।
छ घंटे के कर्तव्य पथ पर,
कितने पल व्यर्थ गंवा देते हो।
जरा इसका हिसाब तो लगा लीजिए।।
हम बदलेंगे युग बदलेगा,
नारा यह रोज लगाते हो।
कोई बदले न बदले,
अपने आप को तो बदल लीजिए।।
राजेश व्यास अनुनय