इतना घातक सा क्यूँ है कोरोना
क्या वबा से मची तबाही है
ख़ौफ़ है और बदहवासी है
क्या ख़बर क्या ख़बर चली आए
चैन ग़ायब है बेक़रारी है
ये वबा आदमी के द्वारा क्या
एक भेजी हुई सुनामी है
इतना घातक सा क्यूँ है कोरोना
इसको क्या दी गई सुपारी है
कोई बाहर नहीं निकल सकता
शहर भर में ये की मुनादी है
चल के आया है घर वो बाहर से
दूर होने की फिर सज़ा दी है
पर्त दर पर्त ये मरज़ चढ़ता
दाँव पर जाँ लगी हमारी है
कोई हंसता नज़र नहीं आता
सबके चेहरे पे इक उदासी है
आज ‘आनन्द’ ये महामारी
सामने दिख रही क़ज़ा सी है
शब्दार्थ:- वबा=महामारी/epidemic,
क़ज़ा=मृत्यु/मौत/death
डॉ आनन्द किशोर
दिल्ली