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10 Feb 2024 · 1 min read

इतना कभी ना खींचिए कि

इतना कभी ना खींचिए कि
कहीं तार ही नहीं टूट जाय
ढ़ील इतना भी ना छोड़िए
वीणा का स्वर ही घुट जाय

पारस नाथ झा

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