इजोरिया
प्रबल अधुनिक काल मे
ओझल संस्कृति संस्कार मे
मानसिक रुपि शब्द वेदन व्याप्त
मनुक्ख अबोध निर्बल सभ्भ कोरा
बढउनै उठनै पग पग संग धेने चलु
जाहि ठाम छीटल सगरे इजोरिया
जगत जननी कें पुजैत जाहि ठाम
बैरी करैत सतार्थ साहित्य प्रहार
धन विद्यासँ दुउरा अगना सोभे
जतए गंगा माँ करैत नित सिगार
पैर पसारि छमकि अंग धारा पर
बज्जि के इजोत मे जगमग संसार
हे बाबा बैद्यनाथ जन्म होइ मिथिले मे
धन्य प्राचीन पाओल संस्कृति संस्कार
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य