इज़हार ज़रूरी है
कहना मुश्किल नहीं था
अब सहना मुश्किल है बहुत
चाहत उजाले की थी
लेकिन यहां अंधेरा है बहुत
अब पछता रहा हूँ उस बात के लिए
कह न पाया जो दिल की बात उससे
घंटों तो तक बैठता था मैं साथ उसके
कहना था बस मुझे दिल का हाल उससे
हो गई है मुझसे गलती ऐसी
जिसमें कोई सुधार नहीं हो सकता
थाम लिया है उसने हाथ किसी और का
अब वो कभी मेरा नहीं हो सकता
जो महसूस हो रहा है आज मुझको
इससे बुरा कुछ हो नहीं सकता साथ मेरे
इतनी बड़ी भूल कैसे कर गया मैं
वरना हो सकता था वो आज पास मेरे
था शायद मंज़ूर यही रब को
तभी पास आकर भी दूर चला गया वो
समझता था मैं बस अपना दोस्त जिसे
नहीं पहचान पाया, मेरा प्यार था वो
एक गलती के लिए पछताना पड़ेगा
अब उम्रभर के लिए मुझको
करना न ऐसी गलती तुम कभी यारों
है जो दिल में, एक बार बता दो उसको
उसकी हाँ होगी या फिर होगी ना
तुम बस अपना करम करो यारों
इज़हार के बाद, ग़र वो न भी कहेगी
तब भी तुम्हें इतना अफ़सोस न होगा यारों
जो न कहेगी वो, थोड़ा दुख होगा तुम्हें
फिर राह में कोई और मिल जाएगा तुम्हें
लेकिन अगर डर गए इज़हार करने से
पछतावा इस बात का ताउम्र रहेगा तुम्हें।