इज़हार ए मुहब्बत
इज़हार ए मुहब्बत
क्या कहिए इस नादां दिल की
क्यों बात हम सुन बैठे
भोली सूरत देख के उनकी
इज़हार ए मुहब्बत कर बैठे ।
मिलाके नज़रे थाम के हाथ
क्या गलती हम कर बैठे
हाले दिल हम सुना के अपना
इकरार ए मुहब्बत कर बैठे ।
कुछ उनकी बातें सुनी और
कुछ दिल की हम कह बैठे
पलकें उनकी उठी – झुकी
हम ठण्डी आहें भर बैठे
होशोहवास खो कर अपने
दिल गुलज़ार कर बैठे
उनको अपने पास बिठाकर
पाक शरारत कर बैठे ।
क्या कहिए इस नादां दिल की
क्यों बात हम सुन बैठे
भोली सूरत देख के उनकी
इज़हार ए मुहब्बत कर बैठे ।
ललिता कश्यप सायर
जिला बिलासपुर (हि0 प्र0)