इज़हार-ए-इश्क 2
कहता नहीं लेकिन
मैं प्यार बहुत करता हूं उससे
जो कह नहीं पाता
सपनों में बात करता हूं उससे
लेकिन जब भी मिलता है
हंस के ही बात करता हूं उससे
दिल की बात करने से
जाने क्यों मैं डरता हूं उससे
जाने क्यों अब ये दोस्ती
तोड़ना चाहता हूं मैं उससे
रिश्ता प्यार का अब
जोड़ना चाहता हूं मैं उससे
जुबां कह नहीं पा रही
आंखें मिला नहीं पा रहा उससे
अब भी प्यार का इज़हार
मुझसे किया नहीं जा रहा उससे
चुप भी नहीं रहा जा रहा और
रहा भी नहीं जा रहा बिना कहे उससे
है मेरे दिल की हालत क्या
ये कहा भी नहीं जा रहा उससे
जानता हूं है वक्त कम
कहीं जुदा न हो जाऊं उससे
अब छोड़कर अपना डर
अपने प्यार का इज़हार करूं उससे
हिम्मत जुटाकर आज मैंने
दिल की बात कर ही ली उससे
बेकरार था वो भी सुनने को
वो बात आज मैंने कर ही ली उससे
इतने बरस मुझे लगता रहा
मुश्किल है इज़हार ए इश्क उससे
लेकिन वो भी खुश था क्योंकि मैं कह गया था
जो कहा नहीं जा रहा था उससे