इज़हारे बफा
इजहारे बफा करते है वो शौक़ से ,
क्या करे यह हमें गवारा नहीं ।
इश्क़ में डूबे इतना कि तुम्हारा साथ हो
दर्दे इश्क़ सिर से उतारना गवारा नहीं ।
दिदारे यार चॉद मे करते हैं कभी कभी ,
सितारों को परेशान करना गवारा नहीं ।।
पत्थरों पर बहता झेलम का पानी क्या ?
रूनझुन तेरी पायल,पर यह झूठ गवारा नहीं ।
तसवूरे इश्क़ मे खोये इतना चले आओ
शायद यह इन्तज़ार चॉद चॉदनी को गवारा नहीं ।।
मधु