इजहारे मुहब्बत
“इजहारे मुहब्बत”
नजर से नजर मिली,
दिल को करार हुआ।
कुछ वो बोली,कुछ मैं बोला,
हमदोनों में इकरार हुआ।।
वो इठलाई वो इतराई,
शरमाकर मेरे पास आई।
उसके कदमों की आहट सुन,
मेरे दिल ने ली अंगड़ाई।।
अंगड़ाई लेते दिल ने,
जब उसका दीदार किया।
कुछ वो बोली,कुछ मैं बोला,
हमदोनों में इकरार हुआ।।
जब मैंने इजहार किया,
तो उसने इनकार किया।
मेरे कोमल हृदय पर यूँ,
उस पत्थर दिल ने वार किया।।
वो बोली प्यार शरारत है,
मैं बोला प्यार शराफत है।
वो बोली प्यार अदावत है,
मैं बोला प्यार इबादत है।।
वो बोली प्यार तो धोखा है,
इक बहती हवा का झोंका है।
मैं बोला प्यार तराना है,
दीवाना है, मस्ताना है।।
मेरे फ़कत दलीलों पर,
जब उसका इजहार हुआ।
कुछ वो बोली,कुछ मैं बोला,
हमादोनों में फिर प्यार हुआ।।
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रचना- पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृहजिला- सुपौल
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597