इच्छा.
इच्छा
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इस चाँदनी रात में
सोना है मुछे नीले गगन को
देखकर तुम्हारे साथ.
सपना भी
देखना है मुछे….
सितारों से इक हार
बनाना है मुछे
वही हार डालना है
मुछे तुम्हारे गले में..
तारों से रंगोली भी सजाना है मुछे
नीले गगन में.
इन्द्रधनुष में छूला
बनाना है मुछे…
उस छूले में बैढ़कर
चाँद से बातें
करना है मुछे.
सूर्य से लेना है थोडी सिन्दूर
और तुम अपनी माथे में डालना है
वही सिन्दूर.
बादलों में चढ़कर
यात्रा करना है मुछे
हवा की आंदोलन में.
बरसात में नहाना है मुछे
सागर के लहरों के साथ
तैरना है मुछे
बीती हुई राहों से
भिर चलना है मुछे….
उस राहों मैं
तुम भी होना है
मेरे साथ
हाथों में हाथ लेके
चलना है थोड़ी दूर तक.
थक जाने पर उस
पीपल की पेड़ के नीचे…
कमरबान की छाया में
बैढ़ना है थोड़ी देर.
भिर लेटना है तुम्हारी
गोदी में मुछे
और आखिरी सांस
लेना है मुछे.
और भिर
खुशी से सोना है मुछे
हमेशा केलिए….