इच्छाएं…
अनगिनत इच्छाएं मन की…
दुविधाएं इस लघु जीवन की…
चाहना कुछ और होना कुछ,
पाना कुछ और खो देना कुछ,
ये भटकन है बीहड़ वन की…
अनगिनत इच्छाएं मन की…
सपने बड़े और प्रयत्न छोटे,
पाना लक्ष्य पर करतब खोटे,
ये तड़फन है निराश जन की…
अनगिनत इच्छाएं मन की…
कर्तव्य बोध है या जीवन भार,
ढोता मानव बेबस और लाचार,
ये उलझन है अकेलेपन की…
अनगिनत इच्छाएं मन की…