इग्नोर
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र के इस दौर ने मुझे अहसास कराया की धन दौलत सुख संपत्ति अपने पराये सब अपनी जगह ,मैं तो इस दौर में एक सच्चे शख्स तक के लिए तरस गया …,वाह री जिंदगी …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो आपको समझता है वो आपकी दिखावटी -झूटी मुस्कराहट को भी समझ जायेगा और जो नहीं समझता उसके सामने आप फूट फूट के रो भी लें तो भी वो नहीं समझेगा …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कुछ इस तरह से भी दिल को तोडा जाता है की ,अपना अपना जुबानी कहते हुए गैरों से भी बदतर तरीके से इग्नोर किया जाता है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की एक वक़्त पर जाकर अपने आप पर बहुत क्रोध आता है की क्यों हम विश्वास करने में अंधे हो गए ,क्यों हम ऐसे कुछ लोगों से मुलाकात कर बैठे -यकीन कर बैठे जो हमारी सोच में आने के भी काबिल नहीं थे …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान