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27 Aug 2022 · 1 min read

इक सनम चाहतें हैं।

पेश है पूरी ग़ज़ल…

दायार ए रसूले करम मांगते है।
तुम्हारा ही जैसा इक सनम मांगते है।।1।।

हो जाए इश्क हमें भी दिल से।
भले हो वहम वो इक वहम चाहते है।।2।।

दीदार जो करे बस हमारा ही।
ऐसी नूर से भरी इक नज़र चाहते है।।3।।

जिसकी खुशबू से महके हम।
ऐसा महकता इक गुलशन चाहते है।।4।।

अब तक बंजारों सी गुजरी हैं।
मुकम्मल रहने को इक घर चाहते हैं।।5।।

मुसाफिर बड़े परेशाँ हैं धूप में।
राह ए सफर में इक शजर चाहते है।।6।।

सारे परिंदे हुए बेहाल तिश्नगी से।
सूखे सेहरा में इक समंदर चाहते है।।7।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

4 Likes · 3 Comments · 258 Views
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