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26 May 2023 · 1 min read

इक शहर ज़िंदा हुआ है

इक शहर ज़िंदा हुआ है

कहीं से
इक बात
चली है,,
कहीं पर
जा पहुंची है,,
फिर ज़िंदा हुआ है
इक शहर,,
फिर उसकी मिट्टी
महक उठी है,,,
खिडकियां खुल रही
आहिस्ता आहिस्ता
झडने लगी आँखों से
वक़्त की भूरभूरी धूल,,
धुंधली ऐनक साफ़ हुई है,,,,
अब साफ़ नज़र आया इंसा
अब इसकी नीयत साफ़ हुई है,
मिट्टी में मिलकर
मिट्टी से निकला
फिर मिट्टी हो जाना है,,
पर जो अब ज़िंदा है
तो इसका फ़र्ज़ चुकाना है,,,
बंजर से इस.टीले पर
पहुंची सूर्य रश्मियां
नदियों ने दिया स्पर्श,,,
वीराने का चीर के सीना,
दस्तक दे रही ज़िन्दगी,,
हाँ, ये सच है खबर
फिर कोई शहर
ज़िंदा हुआ है……….
उस शहर का
हर शख़्स ज़िंदा हुआ है…….

नम्रता सरन”सोना”

1 Like · 188 Views
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