इक मैं औरत … इक तुम पुरुष
इक मैं औरत … जिसने जना तुम्हें
अपनी मांस मज्जा से दिया देह का तना तुम्हें
इक तुम पुरष … कहा नर्क का द्वार मुझे
मेरी जाई को नोच चोथ कर मज़ा आया घना तुम्हें
अपने रक्त कणों से दिया रक्त बीज तुम्हें
मां होने के क्रम में खोकर अपना सौंदर्य चुना तुम्हें
~ सिद्धार्थ