इक बार पूछ बैठी राधा ये कृष्ण जी से
इक बार पूछ बैठी राधा ये कृष्ण जी से
है प्यार किससे ज्यादा मुझसे या बाँसुरी से
रूठो न राधिका तुम बोले किशन भी हँसकर
ये बाँसुरी सखी बस पर प्यार तो तुम्ही से
मीरा हुई दीवानी जप जप के नाम गिरधर
बस डूब प्रेम में ही पी विष लिया ख़ुशी से
मैया जसोदा हारी सुन सुन शिकायतें ही
गुस्से में बाँध डाला मोहन को ओखली से
मथुरा गए जो मोहन सुध बुध न गोपियों को
आँखों से बह रहे भी आँसूं हुए नदी से
चाहे ग़ज़ल कहो या लिख दो भजन ही कोई
पर ‘अर्चना’ को केवल मतलब है बंदगी से
28-12-2015
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद (उ प्र)