इक दुनिया है…….
” इक दुनिया है ”
ज़लज़लों से दूर इक दुनिया है ।
रोशनी से पुरनूर इक दुनिया है ।।
ग़मों का… ज़िक्र नहीं जहां पर ।
ख़ुशियों से भरपूर इक दुनिया है ।।
नफ़रतों की धुंध में खोए हैं लोग ।
मुहब्बतों में चूर… इक दुनिया है ।।
जहां सरहदों की…. न हो बंदिशें ।
ऐसी भी हुज़ूर….. इक दुनिया है ।।
©डॉ वासिफ़ काज़ी
©काज़ी की कलम
28/3/2, अहिल्या पल्टन , इक़बाल कॉलोनी
इंदौर, मध्यप्रदेश