“इक दनदनाती है ,रेल ,जो रोज है चलती ,
“इक दनदनाती है ,रेल ,जो रोज है चलती ,
इक गुनगुनाती है ,जिंदगी ,जो खेल है खेलती ,
दोनों है मशहूर अपनी हंसीन क़ाबलियत के लिए ,
थरथराती सी है दोनो , हर रोज है गुजरती l”
“नीरज कुमार सोनी”
“जय श्री महाकाल “🕉️