इक तेरा ही हक है।
मेरी हर खुशी है कुरबान तुझ पर।
इक तेरा ही हक है मेरे दिलों जान पर।।1।।
आ लेकर चलूं मैं तुझको चांद पर।
कुछ मुख्तलिफ सा लिखूं तेरे नाम पर।।2।।
चांदनी में तेरा हुस्न है परियों सा।
दिल करे तुझे चाहूं सुबह से शाम तक।।3।।
चल बसातें है मोहब्बत का जहां।
हर ज़र्रा महके जमीं से आसमान तक।।4।।
हरपल में दिलकशी हो इश्क की।
फिज़ाये भी हंसे जहां तेरी मुस्कान पर।।5।।
आशिकी के शहर में हम चलते है।
लहजे में जहां मुहब्बतें हो हर बात पर।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ