इक जीवन दो रूप हमारे।
इक जीवन दो रूप हमारे,
इक मन है इक तन है अपना दोनों में संघर्ष है कितना,
साथ हैं आए साथ है जाना एक रहें पर कोई विधि ना,
इक दूजे को ये दुत्कारें।
इक जीवन दो रूप हमारे।
एक अंधेरा एक उजाला एक धवल है एक है काला,
मन में असत विचार पनपते हाथों में फिरती है माला,
भटके राही द्वारे द्वारे।
इक जीवन दो रूप हमारे।
भरा हलाहल अंदर बाहर वचनामृत धारा बहती है,
बसा दशानन मन में हाथों में पावन गीता रहती है,
हमें पता हैं कर्म हमारे।
इक जीवन दो रूप हमारे।
पुण्य सलिल और पाप छार का दोनों का मिश्रण करते हैं,
संशय रहता ही है मन में भक्ति का लेकिन दम भरते हैं,
आधे मन से राम पुकारें।
इक जीवन दो रूप हमारे।
एक व्यक्तिगत एक सामाजिक मध्य में इक पर्दा रहता है,
किसी कुशल नट के जैसे मन डोरी पर चलता रहता है,
थके बिना यह सांझ सकारे।
इक जीवन दो रूप हमारे।
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Kumar Kalhans