इक चाँद नज़र आया जब रात ने ली करवट
इक चाँद नज़र आया जब रात ने ली करवट
दिल मेरा मचल उट्ठा जज़्बात ने ली करवट
हर सिम्त अंधेरा था, तुम आये ख़ुशा क़िस्मत
नूरानी हुई महफ़िल, ज़ुल्मात ने ली करवट
जब डसने लगे दिल को लम्हात जुदाई के
इक हूक उठी दिल में, लम्हात ने ली करवट
फिर जाम कोई छलका,फिर ज़ख़्म मिरे महके
फिर याद कोई आया, सदमात ने ली करवट
फिर तोड़ दिया उसने तौबा का चलन “आसी”
जब घिर के घटा छाई, बरसात ने ली करवट
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