इक कसक ने पहलू में, पनाह तो ली है।
इक कसक ने पहलू में, पनाह तो ली है।
उछलते सिक्के में, देख पाना संभव नहीं।
खौफ की हलचल तो, दिखती है डगमगाने से।
थमने का इन्तजार है सांवरे, जलने का डर नहीं।
श्याम सांवरा…..
इक कसक ने पहलू में, पनाह तो ली है।
उछलते सिक्के में, देख पाना संभव नहीं।
खौफ की हलचल तो, दिखती है डगमगाने से।
थमने का इन्तजार है सांवरे, जलने का डर नहीं।
श्याम सांवरा…..