इक्कीस मनकों की माला हमने प्रभु चरणों में अर्पित की।
इक्कीस मनकों की माला हमने प्रभु चरणों में अर्पित की।
मन कर्म वचन से हे राघव कुछ श्रद्धा सुमन समर्पित की।।
स्वीकार करो करूणानिधान ‘कश्यप’ की भाव भरी कविता।
कर रहा समर्पित सब कुछ जो जीवन भर हमने अर्जित की।।
चरणों में अर्पित किया भाव स्वीकार करो हे रघुराई।
सोया भारत फिर जाग रहा ले रहा सनातन अंगड़ाई।।
🌹जय श्री राम🌹