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25 Mar 2022 · 1 min read

इक्किस दिन का इतवार (गीत)

इक्किस दिन का इतवार (गीत)
————————————————-
छुट्टी मिली सभी को ऐसी पहली-पहली बार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
(1)
घर के भीतर ही रहना है बाहर कहीं न जाना
कोई नौकर – चाकर इन इक्कीस दिनों कब आना
खुद करने के लिए काम सब हो जाओ तैयार
(2)
कर लो घर की साफ-सफाई सीखो दाल बनाना
रोटी कैसे बेली जाती कैसे बनता खाना
कैसे धोते और सुखाते कपड़े करो विचार
(3)
महिलाओं को कुछ ज्यादा आराम दिलाना अच्छा
घर के कामों में पतियों का हाथ बँटाना अच्छा
एक साथ रहने – जीने का दें प्रभु को आभार
(4)
इस छुट्टी में नहीं किसी को पिकनिक कहीं मनाना
इस छुट्टी में नहीं किसी को होटल जाकर खाना
इस छुट्टी में बंद सिनेमा हॉल मॉल बाजार
(5)
सोचो दुनिया ने कब ऐसी बीमारी थी झेली
सारे यमदूतों पर भारी यह ही एक अकेली
घर के बाहर जो निकलेगा उसका बंटाधार
(6)
आमदनी सब बंद हो गई कैसे हँसे हँसाए
रुकी कमाई सब की आखिर बिना काम पर जाए
बटुए में सबके हैं पैसे गिनती के बस चार
(7)
जीवन का सौंदर्य परिश्रम – छुट्टी का शुभ नाता
छह दिन करके काम सातवाँ दिन छुट्टी का भाता
घर में बैठा लगातार कहलाता है बेकार
(8)
रखो तीन फुट तन की दूरी कोरोना मजबूरी
मन से मन की भेंट सभी से करना लेकिन पूरी
दुखी पड़ोसी है तो समझो खुद को जिम्मेदार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
———————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999 7615 451

Language: Hindi
Tag: गीत
242 Views
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