इंसा हाइकू
सीमा से दूर
पंक्षियां गगन में
इंसा है बंधा।।
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मान सम्मान
कर दे अपमान
आज का इंसा
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स्वान , गन्दर्भ
अजगर बना है
ये हठी इंसा
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है मतलबी
वो अपना पराया
देखता इंसा
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©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०५/१२/२०१८ )
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