इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना न
इंसान समाज में रहता है चाहे कितना ही दुनिया कह ले की तुलना नहीं कर किसी से , पर तुलना अपरिहार्य है ।
इंसान एक दूसरे से तुलना करेगा ही आपको दर्द होगा दूसरों का सब कुछ अच्छे देख के ।
तुम्हारी ज़िंदगी एक कमरे में बंद है ।
तुम हार रहे हो बार – बार , तुमको तुम्हारे निर्णय में ख़ुद से घिन भी आ रही होगी ….
तो रो लेना , ख़ुद को कोष लेना , थोड़ा और ख़ुद से नफ़रत कर लेना पर फिर से अपनी किताब उठा लेना , पढ़ना शुरू कर लेना धीरे धीरे शांति आ जाएगी ।
आत्म विश्वास वापिस आ जाएगा ।
फिर तू कर्म पथ पर तू लौट आएगा ।
फिर तू आख़िर जीत ही जाएगा 🙏