इंसान वही हूँ
लेकर हम दीवाना दिल फिरते हैं
मंजिल मंजिल।।
जिसकी तलाश में आज तक भटकी थी
वो मिला तो मुझे घूम घूमा रहा है
कभी कोलकाता कभी कैरो
कभी दिल्ली तो कभी दुबई घूमा रहा है।।
दोस्तो सफर खत्म हुआ फांकाकशी का।।
अब सफर है अपनी मर्जी और खुशी का।।
लेकिन ये रास्ते मुझसे पूछते हैं ,
मुझे याद दिलाता है कि मैं वही हूँ…
मेरी हैसियत बदली है
इंसान आज भी मैं वंही हूँ।।
#किसानपुत्री_शोभा_यादव