इंसान चाहता है सब कुछ अपने वक्त पर,पर जिंदगी का हर मोड़ है व
इंसान चाहता है सब कुछ अपने वक्त पर,पर जिंदगी का हर मोड़ है वक्त के हिसाब पर।
कर्म तो है तुम्हारे हाथ में, परिणाम नहीं,वक्त कब क्या देगा, ये किसी को पता नहीं।।
वक्त को वक्त देना नहीं चाहता इंसान,हर चीज़ चाहता है अपने मुताबिक, हर अरमान।
पर नियति का खेल अलग ही होता है,जो मिलना है, वो अपने वक्त पर ही होता है।।
पढ़ाई, नौकरी, शादी, और मकान,सबकुछ मिलेगा, जब आएगा उसका मुकाम।
वक्त से पहले कुछ भी नहीं मिलता,और जो नहीं मिलना, वो चाह कर भी नहीं मिलता।।
तो क्यों न रखें भरोसा अपने वक्त पर,भगवान की श्रद्धा में जिएं हर सफर।
मजबूती से कर्म करते रहें, बिना परिणाम के,क्योंकि वक्त और हालात का नहीं पता,पर नियति जो चाहेगी, वही होगा सबके साथ।।